कभी कभी सोचता हू की तेरे जाने से क्या बदल गया,
शायद जिस कागज़ पर लिखी थी खुदा ने कहानी तेरी मेरी...
वो वक़्त की आग मे हे ज़ल गया,
कभी कभी सोचता हु कि तेरे जाने से क्या-क्या बदल गया,
पहले हुआ करती थी सुबह तेरी तरह ठंडी हवा का झोंका,
आज मुरझाऐ से किसी पत्ते की तरह लगती हे..
जिसे वही हवा का झोंका अपने साथ कहीं बहा कर ले जाऐगा एक दिन,
कभी कभी मैं सोचता हु की तेरे जाने से क्या क्या बदल गया,
पहले दिन हुआ करता था तेरे सुनहरे बालों की छाँव मे,
आज उसी दिन की धूप से कांटे चुभते हें पाँव मे,
कभी कभी मैं सोचता हु की तेरे जाने से क्या क्या बदल गया,
पहले शाम का सूरज ढलता था हमें लोगों से छुपाने के लिये,
आज शाम ढलती हे तो सिर्फ तेरी यादों से मिलाने के लिये,
कभी कभी मैं सोचता हु की तेरे जाने से क्या क्या बदल गया,
जब तक तू थी साथ थी मेरे
तब तक लगता हे रात कभी हुई ही नही,
अब रात भी होती हे और वो भी रोती हे क्युकी अब साथ तू होती नही..